हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "मुसनद अल-इमाम अल-काज़िम (अ)" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الإمامُ الكاظمُ عليه السلام:
اِنَّ الْحَرامَ لایَنْمی وَاِنْ نَمی لایُبارَکُ لَهُ فِیهِ، وَما اَنْفَقَهُ لَمْ یُوجَرْ عَلَیْهِ وَما خَلَّفَهُ کانَ زادُهُ اِلَی النّارِ
हज़रत इमाम मूसा काज़िम (अ) ने फ़रमाया:
हराम की दौलत बढ़ती नहीं है और अगर बढ़ती भी है तो बरकत नहीं लाती। हराम से जो कुछ खर्च किया जाता है उसका बदला नहीं मिलता और जो कुछ बच जाता है वह भी इंसान के लिए जहन्नुम की आग का रास्ता प्रशस्त करता है।
मुसनद अल इमाम अल-काज़िम (अ), भाग 2, पेज 379
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